अंधेरी-सी रात में एक खिड़की डगमगाती है
सच बताऊँ यारों तो, एक लड़की मुझे सताती है।
भोली भाली सूरत उसकी मखमली-सी पलकें है
हल्की इस रोशनी में, मुझे देख शर्माती है
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की मुझे सताती है !
बिखरी-बिखरी ज़ुल्फ़ें उसकी शायद घटा बुलाती है,
उसके आँखों के काजल से बारिशभी हो जाती है
दूर खड़ी वो खिड़की पर मुझे देख मुसकुराती है
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की मुझे सताती है !
उसकी पायल की छम-छम से एक मदहोशी-सी छा जाती है
ज्यों की आंख बंद करूँ मैं तो, सामने वो जाती है
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की मुझे सताती है !
अंधेरी-सी रात में एक खिड़की डगमगाती है
ज्यों ही आँख खोलता हूँ मैं तो ख़्वाब वो बन जाती है
सच बताऊँ यारों तो, एक लड़की मुझे सताती है।
भोली भाली सूरत उसकी मखमली-सी पलकें है
हल्की इस रोशनी में, मुझे देख शर्माती है
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की मुझे सताती है !
बिखरी-बिखरी ज़ुल्फ़ें उसकी शायद घटा बुलाती है,
उसके आँखों के काजल से बारिशभी हो जाती है
दूर खड़ी वो खिड़की पर मुझे देख मुसकुराती है
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की मुझे सताती है !
उसकी पायल की छम-छम से एक मदहोशी-सी छा जाती है
ज्यों की आंख बंद करूँ मैं तो, सामने वो जाती है
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की मुझे सताती है !
अंधेरी-सी रात में एक खिड़की डगमगाती है
ज्यों ही आँख खोलता हूँ मैं तो ख़्वाब वो बन जाती है
रोज़ रात को इसी तरह इक लड़की मुझे सताती है !
This Shayari was sent by Deepak Vashishta.
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